AIN NEWS 1: 1947 में देश आज़ाद हुआ, लेकिन इसके साथ ही मां भारती के दिल को चीरता हुआ एक विभाजन भी हुआ। यह केवल सीमाओं का बंटवारा नहीं था, बल्कि यह भारत माता के शरीर को बांटने जैसा था। जिन जंजीरों को तोड़ना था, वो तो टूटीं, लेकिन उसके बदले हमारी अपनी भुजाएं काट दी गईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक बयान में इस ऐतिहासिक घटना की गहराई से चर्चा की और बताया कि कैसे 1947 में हुई राजनीतिक भूलों का असर आज भी भारत भुगत रहा है। उन्होंने कश्मीर में हुए पहले आतंकी हमले की चर्चा करते हुए कहा कि यह हमला उसी रात हुआ जब देश को तीन हिस्सों में बांटा गया।
तीन टुकड़ों में बंटी मां भारती
विभाजन के साथ भारत, पाकिस्तान और बाद में बांग्लादेश नाम के तीन राष्ट्र बने। यह विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ और इसमें लाखों लोग मारे गए, करोड़ों विस्थापित हुए। लेकिन सबसे बड़ी त्रासदी यह रही कि मां भारती का एक अहम हिस्सा – कश्मीर – राजनीतिक समझौतों और गलत फैसलों का शिकार हो गया।
कश्मीर पर पहला आतंकी हमला
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब भारत विभाजित हुआ, उसी रात कश्मीर की धरती पर पहला आतंकी हमला हुआ। पाकिस्तान ने कुछ तथाकथित ‘मुजाहिदीनों’ की मदद से कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिश की। इन्हीं के बल पर पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर का एक हिस्सा – जो आज पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) कहलाता है – अपने कब्जे में ले लिया।
सरदार पटेल की चेतावनी की अनदेखी
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान सरदार वल्लभभाई पटेल का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि सरदार पटेल चाहते थे कि भारतीय सेना तब तक कश्मीर से वापस न आए जब तक पीओके पूरी तरह से भारत में न मिल जाए। लेकिन उस समय की सरकार ने उनकी बात नहीं मानी।
सरदार पटेल के अनुभव और राजनीतिक दूरदर्शिता को अगर उस समय माना गया होता, तो शायद आज हम पीओके के लिए संघर्ष नहीं कर रहे होते। उन्होंने साफ कहा था कि अगर उस समय मुजाहिदीनों को खत्म कर दिया जाता, तो भारत को 75 वर्षों तक आतंकवाद का सामना नहीं करना पड़ता।
आतंकवाद की नींव 1947 में ही रखी गई
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत में आतंकवाद की शुरुआत 1947 से ही हुई थी। जिस तरह पाकिस्तान ने कश्मीर में हमले के लिए गैर-राजनीतिक और आतंकवादी ताकतों का इस्तेमाल किया, वह आज भी जारी है।
हर बार जब भारत शांति की बात करता है, पाकिस्तान पीठ में छुरा घोंपने की योजना बनाता है। प्रधानमंत्री मोदी के बयान में यही भाव झलकता है कि यह खतरा आज का नहीं, बल्कि दशकों पुराना है।
आज का भारत और बदली हुई सोच
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि आज का भारत बदल चुका है। अब देश आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ कड़ी निंदा नहीं करता, बल्कि कड़ा एक्शन भी लेता है। पुलवामा और उरी के हमलों के बाद भारत ने जिस तरह जवाब दिया, उससे यह संदेश साफ हो गया कि अब भारत पहले जैसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि अब भारत आतंकवाद को जड़ से मिटाने की नीति पर काम कर रहा है। अगर 1947 में ही यह नीति अपनाई गई होती, तो भारत को इतना खून-खराबा, युद्ध और आतंक नहीं झेलना पड़ता।
कूटनीति बनाम निर्णायक नेतृत्व
1947 के समय कई निर्णय कूटनीतिक और समझौता आधारित थे। लेकिन सरदार पटेल जैसे नेता सख्त और निर्णायक फैसलों के पक्षधर थे। उनका मानना था कि भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाना चाहिए। अफसोस की बात है कि उनकी सलाह को दरकिनार कर दिया गया।
आज प्रधानमंत्री मोदी उसी नेतृत्व शैली की बात कर रहे हैं – जिसमें देशहित सर्वोपरि है और सीमाओं की रक्षा के लिए कोई समझौता नहीं।
पीओके की वापसी: एक अधूरा सपना
प्रधानमंत्री मोदी के बयान से यह स्पष्ट संकेत मिला कि पीओके की वापसी अब भी भारत की प्राथमिकता है। उन्होंने बिना लाग-लपेट कहा कि सरदार पटेल की तरह आज भी यह मानते हैं कि जब तक पीओके वापस नहीं आता, तब तक भारत अधूरा है।
सरकार की नीति अब स्पष्ट रूप से यह संकेत देती है कि पीओके सिर्फ नक्शे में ही नहीं, बल्कि वास्तविक रूप से भारत का हिस्सा होना चाहिए।
इतिहास से सबक लेने का समय
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि भारत को उसके इतिहास से सबक लेने की चेतावनी है। 1947 की गलतियों को समझना और उन्हें सुधारना अब समय की मांग है।
अगर आज हम कश्मीर में स्थायी शांति चाहते हैं, तो उन जड़ों को काटना होगा जहां से आतंकवाद ने जन्म लिया था। और इसके लिए सिर्फ सैन्य ताकत नहीं, बल्कि वैचारिक और राजनीतिक दृढ़ता की जरूरत है – ठीक वैसे ही जैसे सरदार पटेल ने सुझाव दिया था।
Prime Minister Narendra Modi has brought national attention to the historical consequences of the 1947 Partition, linking it directly to the beginning of terrorism in Kashmir. By recalling Sardar Patel’s strategic vision on PoK and criticizing the decision to ignore it, PM Modi emphasized how the Indian Army’s early withdrawal enabled Pakistan-backed Mujahedeen to seize part of Kashmir. This historical mistake, he argues, is the root cause of decades of Kashmir terrorist attacks, highlighting the ongoing threat of terrorism and the need to revisit India’s stance on PoK.