AIN NEWS 1 Navratri 1st day Maa shailputri puja : जैसा कि आप जानते है नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ ही नवरात्रि शुरू भी हो जाती हैं। साथ ही अलग अलग स्थानों पर विभिन्न पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर मां शक्ति की आराधना भी की जाती है। नवरात्रि पर ही मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि पर 30 साल के बाद यह सर्वार्थअमृत सिद्धि योग बनने जा रहा है, जो कि अत्यंत शुभ है। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना करने मात्र से ही आपके सभी कष्ट और दुखों से मुक्ति मिल जाती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को देर रात 11 बजकर 55 मिनट पर ही शुरू होगी और अगले दिन यानी 9 अप्रैल को रात्रि 9 बजकर 44 मिनट पर यह समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि काफ़ी ज्यादा मान्य है। इसलिए 9 अप्रैल को ही घटस्थापना है।आदिशक्ति, जगज्जननी माँ जगदम्बा की उपासना के पावन पर्व चैत्र नवरात्रि की प्रदेश वासियों को AIN NEWS 1 की समस्त टीम की तरफ़ से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
माँ आदिशक्ति की कृपा सभी पर बनी रहे। सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और आरोग्यता का वास हो, यही हमारी प्रार्थना है।
जान ले कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-
1. घटस्थापना मुहूर्त – 06:12 am से 10:23 am
2.अवधि – 04 घण्टे 11 मिनट्स
3.घटस्थापना अभिजित मुहूर्त 12:03 पी pm से 12:53 am
4.अवधि – 50 मिनट
नवरात्रि घटस्थापना की समस्त पूजा सामग्री-
1. चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन कलश
2.सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
3. पवित्र स्थान की मिट्टी
4.गंगाजल
5. कलावा/मौली
6.आम या अशोक के पत्ते
7.छिलके/जटा वाला
8.नारियल
9.सुपारी अक्षत (कच्चा साबुत चावल), पुष्प और पुष्पमाला
10.लाल कपड़ा
11.मिठाई
12.सिंदूर
पूजन विधि- पूजा की सामग्री एकत्रित कर शारदीय
यहां हम आपको बता दें नवरात्रि को स्नान करने के बाद आपकों लाल वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद एक चौकी पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करके उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा उस पर स्थापित करें और कलश की स्थापना करें। कलश की स्थापना करने के बाद मां दुर्गा को लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल फूलों की माला और श्रृंगार आति की वस्तुएं को अर्पित करें और धूप व दीप प्रज्जवलित करें। यह सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद गोबर के उपले से ही अज्ञारी करें। जिसमें घी, लौंग, बताशे, कपूर आदि चीजों की भी आहूति दें। इसके बाद नवरात्रि की कथा पढ़ें और मां दुर्गा की धूप व दीप से आरती उतारें और उन्हें उनके प्रसाद का भोग भी लगाएं।