दुनिया पस्त तो भारत मस्त

भारत की ग्रोथ से सभी हैरान

अमेरिका-यूरोप तक में सुस्ती

AIN NEWS 1: दुनियाभर में छाई आर्थिक सुस्ती के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पूरे दमखम और जोश के साथ तेजी से दौड़ रही है। इसकी गवाही केवल भारत सरकार के आंकड़े ही नहीं दे रहे हैं बल्कि दुनिया की दिग्गज एजेंसियां भी भारतीय इकॉनमी का लोहा मान रही हैं। अब क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि भारत की GDP 2022 में साढ़े 3 ट्रिलियन अरब डॉलर से ज्यादा रही है और ये अगले 5 साल तक ये G20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी।

दुनिया पस्त तो भारत मस्त

हालांकि मूडीज ने भारत की तेज रफ्तार के रास्ते में ब्यूरोक्रेट्स के रवैये को ब्रेकर भी करार दिया है। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी के मुताबिक फैसला लेने की प्रक्रिया में शामिल नौकरशाही का लेटलतीफी वाला रवैया भारत में FDI आने की स्पीड को घटा सकता है। मूडीज के मुताबिक, भारत की आर्थिक रफ्तार पर नौकरशाही की तरफ से लगाई जाने वाली अड़चनें लगाम लगा सकती हैं। लाइसेंस लेने और कारोबार शुरू करने की मंजूरी प्रक्रिया में नौकरशाही की धीमी स्पीड प्रोजेक्ट्स के शुरु होने के वक्त को बढ़ा सकती हैं। इससे इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे दूसरे विकासशील देशों के मुकाबले एक एफडीआई डेस्टिनेशन के तौर पर भारत का आकर्षण कम हो सकता है।

भारत की ग्रोथ से सभी हैरान

इससे सरकार को मूडीज की तरफ से साफ संकेत दिया गया है कि वो फैसले लेने की प्रक्रिया में लेटलतीफी ना करे। इस ब्रेकर के बने रहने के बावजूद भारत की आर्थिक रफ्तार के तेज होने की कई वजहों पर मूडीज ने फोकस किया है। इनमें शामिल हैं भारत की बड़ी युवा और शिक्षित मैनपावर, छोटे परिवारों की बढ़ती संख्या और शहरीकरण से घर, सीमेंट और नई कारों के लिए बढ़ती मांग। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकारी खर्च बढ़ने से लोहे और सीमेंट कारोबार और नेट जीरो उत्सर्जन से नवीकरणीय ऊर्जा में भी निवेश बढ़ने का अनुमान है।

अमेरिका-यूरोप तक में सुस्ती

रिपोर्ट के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में डिमांड के दम पर 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से से बढ़ेगी। हालांकि इस तेज तरक्की के बावजूद भारत की क्षमता 2030 तक चीन से कम रहने का दावा इस रिपोर्ट में किया गया है। मूडीज के मुताबिक क्षेत्रीय व्यापार समझौतों को लेकर भारत के सीमित उदार रवैये का भी विदेशी निवेश आकर्षित करने पर असर पड़ेगा। हालांकि, भ्रष्टाचार पर नकेल कसने, आर्थिक गतिविधियों को संगठित करने, टैक्स कलेक्शन और प्रशासन को बेहतर करने की सरकारी कोशिशें उत्साहजनक हैं लेकिन इन कोशिशों के असर को लेकर जोखिम भी बढ़े हैं।

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